नई दिल्ली: हाल ही में खबरें उड़ी थीं कि 1 मई 2025 से पूरे भारत में सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम लागू हो जाएगा। लेकिन अब सरकार ने इस खबर का खंडन करते हुए साफ कर दिया है कि ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया है। अगर आप भी इस खबर से कन्फ्यूज थे, तो चलिए हम आपको इसकी पूरी सच्चाई बताते हैं, वो भी देसी अंदाज में!
सरकार का स्पष्टीकरण: सैटेलाइट टोल सिस्टम की बात अफवाह
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने शुक्रवार को साफ किया कि 1 मई से सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम लागू करने का कोई प्लान नहीं है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि ये नया सिस्टम मौजूदा फास्टैग सिस्टम की जगह लेगा, लेकिन मंत्रालय ने इन खबरों को गलत बताया।
फैक्ट चेक: सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम पर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। सरकार ने स्पष्ट किया कि फिलहाल फास्टैग और नई तकनीक पर आधारित टोलिंग सिस्टम को और बेहतर करने पर फोकस है।
तो क्या है नया सिस्टम?
मंत्रालय ने बताया कि कुछ चुनिंदा टोल प्लाजा पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) और फास्टैग आधारित बाधा रहित टोलिंग सिस्टम शुरू किया जाएगा। इसका मकसद है कि गाड़ियां बिना रुके टोल प्लाजा पार कर सकें, जिससे समय बचे और ट्रैफिक जाम कम हो।
- ANPR तकनीक: ये हाई-टेक कैमरे गाड़ी की नंबर प्लेट को स्कैन करेंगे।
- फास्टैग: टोल का पैसा आपके फास्टैग अकाउंट से अपने आप कट जाएगा।
- नो स्टॉपेज: गाड़ियों को टोल पर रुकने की जरूरत नहीं, सब कुछ ऑटोमैटिक होगा।
नियम तोड़ने की सजा
अगर कोई नियम तोड़ता है, तो उसे ई-नोटिस भेजा जाएगा। नोटिस का जवाब न देने या पेमेंट न करने पर फास्टैग सस्पेंड हो सकता है। साथ ही गाड़ी के खिलाफ दूसरी कार्रवाई भी हो सकती है।
क्यों जरूरी है ये सिस्टम?
- समय की बचत: बिना रुके टोल पार करने से आपका सफर तेज होगा।
- ट्रैफिक जाम से राहत: टोल पर लंबी लाइनें नहीं लगेंगी।
- पारदर्शिता: ऑटोमैटिक सिस्टम से टोल कलेक्शन में गड़बड़ी की गुंजाइश कम होगी।
अभी क्या है प्लान?
फिलहाल सरकार का फोकस फास्टैग और ANPR तकनीक को मिलाकर टोल सिस्टम को और स्मार्ट करने पर है। सैटेलाइट बेस्ड सिस्टम पर अभी कोई ठोस अपडेट नहीं है। तो, अगर आपने भी ऐसी खबरें सुनी थीं, तो अब टेंशन छोड़ दीजिए!